कलाकार बिरादरी ने किया जयंत भिसे का आत्मीय सम्मान

इंदौर। उस्ताद अल्लाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी, मप्र का निदेशक नियुक्त किए जाने पर वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी जयंत भिसे का शहर की कलाकार बिरादरी की ओर से आत्मीय सम्मान किया गया।

जाल सभागृह में आयोजित इस गरिमामय कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रदेश की संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर और पद्मभूषण पं. गोकुलोत्सव महाराज थे। आयोजन में विभिन्न संगीत गुरुकुलों के युवा विद्यार्थियों को मंच उपलब्ध कराया गया। शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सीख रहे बच्चों ने भी निराश नहीं किया। उन्होंने एक से बढ़कर एक बंदिशें पेश की।

शॉल- श्रीफल भेंटकर किया गया सम्मान।

संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, पण्डित गोकुलोत्सव महाराज और सांसद शंकर लालवानी ने शहर के तमाम कलाकार व संस्कृतिप्रेमियों की ओर से जयंत भिसे का फूलों का बड़ा हार पहनाने के साथ शॉल- श्रीफल और सम्मान पट्टी भेंटकर सम्मान किया। पूर्व आईडीए अध्यक्ष मधु वर्मा, वरिष्ठ संगीतज्ञ पं. सुनील मसूरकर, गायिका शोभा चौधरी, कल्पना झोकरकर और संगीत कलाकार कमल कामले भी इस दौरान मंच पर मौजूद रहे।

जयंत भिसे ने अपने कर्म को सांस्कृतिक धर्म बनाया

पदम् पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ गायक पण्डित गोकुलोत्सव महाराज ने इस मौके पर कहा कि समाजसेवी जयंत भिसे ने अपने कर्म को सांस्कृतिक धर्म बना लिया। उन्होंने अपना जीवन कला और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन को समर्पित कर दिया। सानंद जैसे कला समूह को परमानंद का माध्यम बना देना जयंत भिसे की ही कूवत है।

जयंत भिसे ने कला- संस्कृति को पल्लवित किया।

सांसद शंकर लालवानी ने इस मौके पर कहा कि जयंत भिसे उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने इंदौर शहर में कला, संस्कृति व संस्कारों को न केवल संरक्षित किया बल्कि उनकी जड़ों को गहरा करने में महती भूमिका अदा की। उस्ताद अल्लाउद्दीन खां संगीत व कला अकादमी के निदेशक पद पर उनकी नियुक्ति से अकादमी की बागडौर सुयोग्य हाथों में आई है।इससे कला- संस्कृति को नए आयाम मिलेंगे।

भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद को मिलेगा बढावा।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि जयंत भिसे कुशल संगठन कर्ता हैं। सानंद जैसे अनुशासित कला समूह को उन्होंने खड़ा कर संस्कृति और संस्कारों को जिसतरह आगे बढाया, देशभर में वह एक मिसाल है। उन्होंने केउस्ताद अल्लाउद्दीन खां संगीत व कला अकादमीं के निदेशक के बतौर उनका चयन सरकार का श्रेष्ठतम निर्णय है। मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि बीते 60- 65 सालों में भारतीय वैदिक कला- संस्कृति, इतिहास और राष्ट्रवाद की घोर उपेक्षा हुई है। उन्हें उम्मीद है कि अब कला- संस्कृति और राष्ट्रवाद को पुनः प्रतिष्ठित करने का काम अकादमीं के जरिए हो सकेगा।

पचास से अधिक संस्थाओं और कलाप्रेमियों ने किया अभिनंदन।

कार्यक्रम में शहर के तमाम कलाकार बिरादरी से जुड़े लोग मौजूद थे। अभिषेक गावड़े, संजीव गवते और अन्य कलाकारों की अगुवाई में शहर की कला- संस्कृति से जुड़ी 30 से अधिक संस्थाओं के पदाधिकारियों और सैकड़ों कलाकार व कलाप्रेमियों ने भी जयंत भिसे का पुष्पहार, गुलदस्ते, फूल, शॉल, श्रीफल आदि भेंटकर अभिनंदन किया।

सभी के प्रति जताया आभार।

अपने सम्मान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए जयंत भिसे ने कहा कि सामाजिक- सांस्कृतिक सफर में उन्हें कई लोगों का साथ मिला वे उनके प्रति आभारी हैं। उन्हें उस्ताद अल्लाउद्दीन खां संगीत व कला अकादमीं के निदेशक के रूप में जो जिम्मेदारी मिली है, उसका निर्वहन वे पूरी शिद्दत के साथ करने का प्रयास करेंगे।

संगी- साथियों ने पुरानी यादों को किया ताजा।

कार्यक्रम के प्रारंभ में बाबा साहब तराणेकर, डॉ. माया इंगले, श्रीराम जोग व अन्य लोगों ने जयंत भिसे के साथ जुड़े अपने संस्मरणों को साझा करते हुए उन्हें एक अच्छा मित्र, सहकर्मी, कलाकार, मददगार व कुशल मैनेजमेंट गुरु निरूपित किया।
प्रारम्भ में सरस्वती वंदना पेश की गई। बाद में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया। स्वागत भाषण तबला नवाज़ हितेंद्र दीक्षित ने दिया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने किया। कार्यक्रम में पद्मश्री भालू मोंढे, सुधाकर काले,दीपक खरे, भुवनेश कोमकली, प्रवीण कुमार खारीवाल,डॉ.पूर्वी निमगांवकर,आशुतोष निमगांवनकर, सोनाली यादव, बुन्दू खान, सुभाष देशपांडे, श्रीनिवास कुटुम्बले, अर्चना चितले, राजेन्द्र कौशिक,हरीश मोटवानी, विनय पिंगले, दीपक जैन ‘टीनू’, डॉ. किशोर विनायक काले,गौतम काले, शशिकान्त तांबे,अनुराग तागड़े सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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