मसूरकर ने गाया घन गरजत- बरसत बूंद- बूंद और भीगे श्रोताओं के अंतर्मन

इंदौर : भादो मास के अंतिम दौर में प्रख्यात शास्त्रीय गायक ग्वालियर घराने के पं. सुनील मसूरकर ने घन गरजत बरसत बूंद-बूंद, सावन की सांझ मो को सुखद भई, मानत ना जिया एक पल जैसी बंदिशें पेश कर श्रोताओं को सराबोर कर दिया।

शास्त्रीय संगीत जगत के परम विद्वान पंडित विष्णु नारायण भातखंडे और पंडित विष्णु दिगंबर पुष्कर पलुस्कर की स्मृति में अभिनव कला समाज द्वारा आयोजित शास्त्रीय संगीत सभा का आगाज़ पं. सुनील मसूरकर ने राग श्याम- कल्याण से किया। ताल विलंबित में बड़ा ख्याल मानत ना जिया एक पल और त्रिताल में छोटा ख्याल सावन की सांझ मो को सुखद भई प्रस्तुत कर पं. मसूरकर ने श्रोताओं को दाद देने पर मजबूर कर दिया।

पं.मसूरकर ने राग मियां मल्हार में छोटा ख्याल घन गरजत बरसत बूंद- बूंद और दादरा में क्या जादू डारा दीवाना भी पेश किया।सभा के अंतिम दौर में पं.मसूरकर ने राग भैरवी में भजन धन्य भाग्य सेवा का अवसर पायो गाया तो श्रोता बिरादरी मंत्रमुग्ध हो गई । कार्यक्रम में डॉ. शिल्पा मसूरकर ने सहयोगी गायिका की भूमिका निभाई। हारमोनियम पर रोहित अग्निहोत्री और तबले पर बालकृष्ण सनेचा ने साथ दिया।

प्रारंभ में शास्त्रीय गायिका डॉ.पूर्वी निमगांवकर, गायक दिलीप मुंगी, सत्यकाम शास्त्री, अभिषेक गावड़े जीके गोविंद, विवेक बंसोड़ ने सरस्वती माता के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों और कलाकारों का स्वागत अभिनव कला समाज़ के कमल कस्तूरी, सोनाली यादव, मीना राणा शाह,प्रवीण धनोतिया ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रवीण कुमार खारीवाल ने किया। कार्यक्रम में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बड़ी संख्या में शास्त्रीय संगीत प्रेमी मौजूद थे।

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