पत्रकारिता सहित हर क्षेत्र में आई गिरावट से उबरना भी हमारी ही जिम्मेदारी- विजयवर्गीय

केंद्र सरकार पत्रकार पुनर्वास फंड बनाएं – कातिल।

इंदौर : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि चाहे पत्रकारिता हो या राजनीति गिरावट सभी क्षेत्र में आई है। इस गिरावट से उबरने और संभलने का दायित्व भी हमारा ही है। इंदौर कभी पत्रकारिता की पाठशाला हुआ करता था पर अब वह पाठशाला ही खत्म हो गई है। पहले शासन- प्रशासन पर पत्रकार बिरादरी की धमक हुआ करती थी, अब वह लुप्त प्रायः हो गई है। अब राहुल बारपुते, राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी या माणिक चंद वाजपेयी जैसे पत्रकार दिखाई नहीं देते यह चिंता और चिंतन की बात है। श्री विजयवर्गीय स्टेट प्रेस क्लब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गंगा मैली हो गई है लेकिन गंगोत्री से अभी आशा है । हमें पवित्रता हर क्षेत्र में लाना है। आज जरूरी है कि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पवित्रता से निभाएं ।

बिना जांच के ही एफआईआर हो जाती है।

आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर पत्रकारिता का दामन थामने के साथ कई राष्ट्रीय व क्षेत्रीय चैनलों को लांच करने वाले जगदीश चंद्र कातिल ने इस अवसर पर कहा कि हम अपनी जिम्मेदारी से विमुख हो गए हैं । आज हमारे कामकाज में जनता की भागीदारी और रूचि कम हो गई है । इस विषय पर हमें आत्म चिंतन करना होगा । आज पत्रकारिता करने वाले लोगों के दोस्तों की संख्या ज्यादा हो गई है।डिमांड- सप्लाई का अंतर बिगड़ गया है। इस समय देशभर में स्वयंभू पत्रकार सोशल मीडिया के माध्यम से उभर कर आ गए हैं। पत्रकारिता में हमने अपने नैतिक अधिकार का उपयोग प्रेशर प्रैक्टिस के रूप में इस तरह से किया कि हमारा भय समाप्त हो गया । अब पत्रकारों के खिलाफ सीधे सीएम के आदेश से एफ आई आर दर्ज हो जाती है । कोई जांच नहीं होती है ।कोई सुनवाई नहीं होती है । इस तरह से न्याय का संतुलन बिगड़ना शुरू हो गया है ।

पत्रकारों की आर्थिक सुरक्षा के लिए बनें कोष।

उन्होंने कहा कि इस समय पत्रकारिता के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है। हमें यह सोचना होगा कि हम अपने आपको प्रासंगिक कैसे बनाएं ? किस तरह से एक बार फिर विश्वास को हासिल करें । यह समय चुनौतीपूर्ण समय है । पत्रकारिता के क्षेत्र में आई आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे देश में पत्रकार पुनर्वास कोष स्थापित करें। इस चुनौती के कारण जो पत्रकार हाशिए पर आ गए हैं उन्हें फंड से सम्मानजनक पैसा देकर जीवन में अन्य कार्य करने के लिए मुक्त करें ।

मीडिया कल आज और कल पर परिचर्चा।

उद्घाटन सत्र के दौरान ‘मीडिया कल आज और कल’ विषय पर परिचर्चा रखी गई।

परिचर्चा में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में इंदौर सबसे बड़ा घराना है। इस शहर के कई पत्रकार ऐसे हैं जिनका पत्रकारिता पर बहुत बड़ा कर्ज है। आज जरूरत इस बात की है कि हम पत्रकारिता के समक्ष पैदा हुई चुनौतियों का मुकाबला करें । हमें यह सोचना होगा कि हमने जो सीखा क्या हम वह नई पीढ़ी दे पा रहे हैं ? वर्तमान में सियासत ने हालात बिगाड़े हैं, इससे निष्पक्ष, निर्भीक और स्वस्थ पत्रकारिता करना मुश्किल हो गया है। पत्रकार केवल राजनीतिक दलों के औजार बनकर रह गए हैं। इस समय पत्रकारिता जिस अंधी सुरंग में है मुझे उम्मीद है उस सुरंग का दूसरा छोर जरूर मिलेगा।

आज की पत्रकारिता दरबारी हो गई है।

मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि बीते कल की पत्रकारिता को स्वर्ण काल कहा जा सकता है । उस समय पत्रकारिता के तेवर , फ्लेवर और कलेवर की आज कल्पना नहीं की जा सकती। स्वतंत्रता के समय तक पत्रकारिता के समक्ष देश की आजादी का लक्ष्य था लेकिन उसके बाद हम अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभा सके हैं । हमें जनता के प्रहरी बनकर काम करना था पर हम दरबारी बनकर रह गए। अखबारों में संपादक की सत्ता एक बड़ी ताकत थी। अब तो संपादक की कुर्सी के पास में मैनेजर को बैठाया जाता है। हम अपनी साख और प्रतिष्ठा को खो रहे हैं । जनता को सूचना देकर शिक्षित नहीं कर पा रहे हैं । आज का माहौल निराश करने वाला है।

संक्रमण काल से गुजर रही है पत्रकारिता।

वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक ने कहा कि पत्रकारिता का दायित्व दिशा दिखाना और संकेत देना होता है । आज हम अपने स्वार्थ और भय के कारण सच नहीं कह पाते हैं । अतीत में हमने दायित्व निभाया था । इस समय पत्रकारिता संक्रमण काल से गुजर रही है । उसका अवमूल्यन हो गया है। हम परम पवित्र नहीं हैं। जीवन का हर क्षेत्र पतन की ओर अग्रसर है । ऐसे में हमें आंखो का पानी बचाना है । 1925 में हुए संपादकों के पहले सम्मेलन में पराड़कर जी ने कहा था कि अब अखबार रंगीन होंगे, आकर्षक होंगे लेकिन उनमें पत्रकारिता की आत्मा नहीं होगी । वह बात आज सही साबित हो रही है। राजनीति और पत्रकारिता का अंतर संबंध प्रगाढ़ हो गया है, उनके बीच में शर्म की चिंता नहीं रही । अब सत्ता की आलोचना करना देशद्रोह हो गया है । हमारी साख दांव पर लगी है पर यह दौर भी जाता रहेगा। हमें आशावादी रहना होगा।

पत्रकारिता देश और समाज को दिशा दिखाती है।

भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने कहा कि जब भी समाज को दिशा देने और आईना दिखाने की जरूरत आई तो पत्रकारिता ने यह काम किया है । कोविड-19 काल में पत्रकारों द्वारा निर्भीकता के साथ जो काम किया गया वह सराहनीय है ।

प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर 14 वे भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का शुभारंभ किया। अतिथि स्वागत मनोहर लिंबोदिया, कमल कस्तूरी, संदीप सिंह सिसोदिया, रचना ज़ौहरी, सत्यजीत शिवणेकर, कीर्ति राणा और प्रवीण धनोतिया ने किया । अतिथियों को स्मृति चिन्ह सुदेश तिवारी, सोनाली यादव ,अजय भट्ट ,शीतल राय, आकाश चौकसे, वीवान सिंह, प्रभात जैन ने भेंट किए। स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने स्वागत भाषण दिया। संयोजक सुदेश तिवारी ने महोत्सव की जानकारी दी । वरिष्ठ उपाध्यक्ष घनश्याम पटेल ने स्टेट प्रेस क्लब की गतिविधियों से अवगत कराया। राष्ट्रीय समन्वयक संजीव आचार्य ने आयोजन के पिछले 14 वर्षों के सफर की जानकारी दी । कार्यक्रम का संचालन नवनीत शुक्ला ने किया । इस अवसर पर पूर्व विधायक जीतू जिराती भी मौजूद थे ।

इंदौर के पत्रकारों का मीडिया अवार्ड से सम्मान।

शुभारंभ समारोह में इंदौर शहर के पत्रकारों का मीडिया अवार्ड के जरिए सम्मान किया गया । प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और यूट्यूब पर बेहतर काम करने वाले पत्रकारों को अतिथियों द्वारा मीडिया अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।

तीन दिनी छायाचित्र प्रदर्शनी शुरू।

स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पत्रकारिता महोत्सव के साथ ही प्रीतमलाल दुआ सभागृह की कला वीथिका में तीन दिवसीय छायाचित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई है । इस प्रदर्शनी का भी गुरुवार को शुभारंभ हुआ। प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश के तीज त्यौहार पर केंद्रित छायाकारों के चित्रों का प्रदर्शन किया गया है । ध्यान रहे कि स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश के द्वारा इस विषय पर छाया चित्र प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इस प्रतियोगिता में प्रविष्टि के रूप में प्राप्त हुए सभी चित्रों का प्रदर्शन इस प्रदर्शनी में किया गया है । इस प्रतियोगिता के विजेताओं को एक लाख रुपए के पुरस्कार दिए जाएंगे ।

शैलेंद्र पर पोस्टर प्रदर्शनी।

भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के साथ ही प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र पर केंद्रित पोस्टर्स की एक प्रदर्शनी भी रवींद्र नाट्य गृह में लगाई गई है। इस प्रदर्शनी का अवलोकन करने के लिए पहले दिन बड़ी संख्या में नागरिक पहुंचे।

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