सवालों की टॉर्च लेकर चलने वाला समाज ही आगे बढ़ता है- सत्यार्थी

जो शब्दों के शिल्पी मन में करुणा को जगाए वही आदर्श है।

इंदौर : नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता कैलाश सत्यार्थी का कहना है कि जो समाज सवालों की टॉर्च लेकर चलता है , वही आगे बढ़ता है। शब्द से बढ़कर कोई हथियार नहीं है। शब्दों के शिल्पी मन में करुणा को जगाए, वही आदर्श है ।
सत्यार्थी इंदौर के रवींद्र नाट्यगृह में स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन शब्द शिल्पी पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे । इस समारोह में वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार स्वर्गीय नरेश मेहता की स्मृति में 20 पत्रकारों को उनके द्वारा किए गए किताब के लेखन के लिए शब्द शिल्पी अलंकरण से अलंकृत किया गया। पांच पत्रकारों को मरणोपरांत यह अलंकरण दिया गया।

परमात्मा कभी अन्याय नहीं करता।

समारोह को संबोधित करते हुए सत्यार्थी ने आगे कहा कि जो लोग स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का सपना देखते हैं, उन्हें फैसले अच्छे भविष्य के लिए लेना चाहिए । जो समाज सवालों से बचता है वह कभी प्रगति नहीं करता। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि परमात्मा कभी अन्याय नहीं करता। जब मैं स्कूल में पढ़ने जाता था , तब एक बच्चे को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया क्योंकि वह छोटी जाति का था । वह बच्चा प्रवेश के इंतजार में स्कूल के बाहर बैठा रहता था । इस बच्चे की आंख मेरा हमेशा पीछा करती रही । यह सवाल मेरे जेहन में पैदा हुआ कि क्या कोई बच्चा गुलामी के लिए पैदा किया गया है ? इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए मैं लगातार लगा रहा।

समस्या है तो समाधान भी है।

उन्होंने कहा कि संघर्ष जारी रहेगा के नाम से मेरे द्वारा एक पत्रिका शुरू की गई जिसमें समाज से वंचित महिला और बच्चों की कहानी को प्रकाशित करने के साथ उस समस्या का समाधान भी बताया गया । हमारे देश की धरती में यदि 100 समस्याएं हैं तो उसके एक अरब समाधान भी हैं । हमारे शब्द जहां अंगारे, दीपक, आंधी और ठंडी बयार की तरह काम करते हैं । वही यह शब्द नए समाज की रचना करने और बुराई का खात्मा करने में सक्षम हैं। हम जब शब्दों के शिल्पी बनकर मन में करुणा को जगाए तो वही आदर्श है और यहीं से आंदोलन शुरू होता है । इस समय हमारे देश में सोशल मीडिया के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , पावर ऑफ मनी सभी मिलकर गड़बड़ कर रहे हैं । देश में सच को झूठ और झूठ को सच बताया जा रहा है। सत्यार्थी ने कहा कि पत्रकारिता बड़ी ताकत है। जितनी ताकत से आप खड़े होंगे, उतना ही देश और लोकतंत्र मजबूत होगा। बाल मजदूरी, बेटियों की तस्करी, यौन शोषण के मामले जितने सामने आते हैं, उससे संख्या बहुत अधिक होती है।

ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर बनें कानून।

सत्यार्थी ने पत्रकारों से कहा कि वे पीड़ित बच्चों, बेटियों और महिलाओं को न्याय दिलाने आगे आए। आज भी देश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर कोई कानून नहीं है। मसौदा बन गया है पर कानून की शक्ल नहीं ले पाया है। इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी जरूरत है।

ये महोत्सव पत्रकारिता का सिंहस्थ है।

प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि आज के युग में कुछ पल में सारी जानकारी मोबाइल पर आ जाती है । ऐसे में पत्रकारिता के समक्ष गंभीर चुनौती है । जिस तरह से उज्जैन में सिंहस्थ पर्व का आयोजन होता है उसी तरह से इंदौर का यह महोत्सव पत्रकारिता का सिंहस्थ है। पिछले दिनों में हम लोगों ने कोविड-19 का सामना किया है । उसकी पहली लहर तो निकल गई लेकिन दूसरी लहर में हमने बहुत पीड़ा देखी है बहुत से लोग हमसे बिछड़े हैं। उनमें कई पत्रकार भी थे। आपने उन्हें याद रखकर मरणोपरांत सम्मानित किया ये सराहनीय बात है।

युवा पत्रकारों के लिए आयोजित करें प्रशिक्षण शिविर।

भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे ने कहा कि पत्रकारिता में परिश्रम और अध्ययन किया जाना चाहिए । जब हम किसी भी मुद्दे की जड़ तक जाएंगे और लगातार काम करेंगे तो उससे प्रतिष्ठा बनेगी । उन्होंने स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश को सुझाव दिया कि नए पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करें, ताकि उनकी दक्षता बढ़ सके। पत्रकारों में पढ़ने लिखने का स्वभाव बनाए जाने की जरूरत है, तभी वह सामाजिक जागरण कर सकता है।

इस अवसर पर महोत्सव की जानकारी अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने दी । कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत भगवद गीता भेंट कर राजेश बादल, गणेश चौधरी, पुष्पा शर्मा, शकील अख्तर ने किया । अतिथियों को स्मृति चिन्ह राकेश पाठक, अभिषेक सिसोदिया, रचना जौहरी, आलोक बाजपाई ने भेंट किए। आभार प्रवीण खारीवाल ने माना।

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