वैचारिक हो आत्मनिर्भर पत्रकारिता, महाभारत के संजय हैं पत्रकारिता के आदर्श…

पत्रकारिता को आत्मनिर्भर बनाने में बन जाती है विभाजन की स्थिति।

इंदौर : स्टेट प्रेस क्लब के भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में दूसरे दिन रचनाधर्मी पत्रकारों के सम्मान के बाद ‘आत्मनिर्भर पत्रकारिता’ पर आयोजित विचारोत्तेजक बहस में कई दिग्गज पत्रकारों ने अपनी बात रखी।

आत्मनिर्भरता वैचारिक होनी चाहिए।

विख्यात चुनावी विशेषज्ञ यशवंत देशमुख ने कहा कि आत्मनिर्भर बनना सबसे आसान काम है । कहीं भी नौकरी न करो तो अपने आप आत्मनिर्भर बन जाएंगे । ऐसे में बात आर्थिक आत्मनिर्भरता पर आती है । इस समय यूट्यूब चैनल के माध्यम से आप अच्छी फालोवर संख्या हासिल करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं, जहां तक मेरा मानना है कि यह आत्मनिर्भरता आर्थिक ना होकर वैचारिक होना चाहिए । यह हकीकत है कि जब आप किसी संस्थान में नौकरी कर रहे होते हैं तो वहां संस्थान की नीति के कारण आपको समझौता करना पड़ता है लेकिन जब आप संस्थान में ना होकर यूट्यूब पर अपना चैनल बनाकर काम कर रहे होते हैं तो आपको एक विचारधारा के साथ चलते हुए अपना काम करना होता है । ऐसे में सब कुछ नार्थ पोल और साउथ पोल के बीच में विभाजित हो जाता है । किसी संस्थान में काम करते हुए उसके बंधन में होकर भी आप इतने बंधे हुए नहीं रहते हैं जितने की कथित तौर पर आत्मनिर्भर होकर काम करते हुए अपने आप को बंधा हुआ पाते हैं यह हकीकत है कि सोशल मीडिया पर आज कुछ भी सोशल नहीं है।

2014 के बाद सवाल पूछना राष्ट्रद्रोह हो गया।

वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेडे ने कहा कि 2014 के बाद ऐसा दौर शुरू हो गया है, जब सवाल पूछना राष्ट्रद्रोह माना जाने लगा है। लोग नयापन और सच्चाई जानना चाहते हैं, यदि आपका कंटेंट सही है तो देखा जाएगा । पत्रकारिता को जिंदा रखने का प्लेटफार्म सोशल मीडिया बन गया है। यह रेवेन्यू जनरेट करने का प्लेटफार्म नहीं है। यदि आप पत्रकारिता में आए हैं तो चुनौतियों से जूझने का माद्दा रखें। ये आप को तय करना है कि आप पत्रकार हैं या पत्तलकार। हम सरकार के सामने हाथ फैलाने के लिए नहीं हैं।

धर्म और संस्कृति पर भी हो डिबेट।

पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं पत्रकार चितरंजन खेतान ने कहा कि यह नया दौर है । इस दौर में एक अलग लाइन पकड़ने पर आदर मिलता है । हमें पॉलिसी पर बात करना चाहिए । देश में धर्म और संस्कृति पर डिबेट होना चाहिए। किसी विचारधारा पर डिबेट को हम ज्यादा तवज्जो देते हैं जबकि इसमें नए विषय शामिल किए जाना चाहिए ।

आत्मनिर्भर पत्रकारिता एक कठिन स्थिति है।

सामाजिक कार्यकर्ता मनिंद्र जैन ने कहा कि आत्मनिर्भर पत्रकारिता एक कठिन स्थिति है । किसी भी व्यक्ति को कोई भी पद भगवान की कृपा से मिलता है और व्यक्ति जीवन भर पद को पाने और पद को बचाने के लिए ही भागता है।

महाभारत के संजय हैं पत्रकारिता के आदर्श।

वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता ने कहा कि नारद कभी भी पत्रकारिता के आदर्श नहीं रहे । वह हमेशा चुगली करने वाले व्यक्ति थे। हम पत्रकारिता का आदर्श संजय को मानते हैं । सच को देखने की दृष्टि वाली पत्रकारिता जरूरी है । जब बात आत्मनिर्भर पत्रकारिता की करते हैं तो हमें सबसे पहले यह सोचना होगा कि हम पत्रकारिता में आए क्यों हैं ? इस समय देश में अर्थव्यवस्था की चिंता किसी को भी नहीं है पत्रकारिता खतरे में है।

तकनीकि दौर में आत्मनिर्भरता पाना आसान।

इस अवसर पर जे पी दीवान ने कहा कि नई तकनीक के साथ काम करते हुए हम आत्मनिर्भरता को हासिल कर सकते हैं । वर्तमान दौर डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया का दौर है । इस दौर में आत्मनिर्भरता को पाना सबसे आसान काम है , इसमें कहीं कोई मुश्किल नहीं है ।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का भगवद गीता भेंट कर स्वागत संजय रोकड़े, राकेश द्विवेदी, अजय भट्ट, पंकज क्षीरसागर , गीत दीक्षित, सुदेश तिवारी,जितेंद्र जाखेटिया ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह, रचना जौहरी,मोहित गर्ग, सोनाली यादव, शीतल राय, गौरव चतुर्वेदी, कमल कस्तूरी,मानवेंद्र सिंह ने भेंट किए। कार्यक्रम का संचालन आकाश चौकसे व संजीव श्रीवास्तव ने किया।

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