पत्रकारिता समाज निर्माण और लोक कल्याण का सशक्त माध्यम है- शर्मा

मीडिया शिक्षा के सौ वर्ष पर सार्थक सेमिनार।

इंदौर : कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर बलदेव भाई शर्मा ने कहा है कि भारत में पत्रकारिता को केवल सूचना देने वाले तंत्र के रूप में सीमित नहीं किया जा सकता। हमारे देश में पत्रकारिता समाज निर्माण और लोक कल्याण का सशक्त माध्यम है ।
शर्मा स्टेट क्लब मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन शनिवार 16 अप्रैल को मीडिया शिक्षा के 100 वर्ष पर आधारित सत्र में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित होने के बाद संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि केवल ही पत्रकारिता नहीं, नागरिकों में भी क्रिएटिविटी बढ़ गई है । सोशल मीडिया में नागरिक भी पत्रकार बन गए हैं। मीडिया एक दुधारी तलवार है , जिसे चलाना सीखना चाहिए । प्रश्न यह है कि पत्रकारिता कैसी हो ? हकीकत यह है कि मीडिया शिक्षा और हकीकत के मीडिया के बीच व्यवहारिक अंतर है । यूरोपीय देशों की पत्रकारिता में नैतिकता का अभाव है, जबकि हमारे देश की पत्रकारिता नैतिकता पर निर्भर है।

सामाजिक उत्तरदायित्व और संयम सिखाती है भारत की पत्रकारिता।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में पत्रकारिता सामाजिक उत्तरदायित्व और संयम सिखाती है। कोरोना के संक्रमण काल ने देश के हर नागरिक को यह सिखा दिया है कि जीवन में संयम जरूरी है। नवाचार के नाम पर संस्कार की आत्मा का गला नहीं घोटा जा सकता। पत्रकारिता को संविधान में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नहीं बनाया गया, इसे देश की जनता और समाज ने चौथे स्तंभ का दर्जा दिया है ।

वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार अस्थाना ने कहा कि पत्रकारिता को वर्तमान युग में बहुत कुछ जानने की जरूरत है । मीडिया शिक्षा को विस्तृत करने के लिए कदम उठाना चाहिए ।

ज्वलन्त मुद्दों की पत्रकारिता की ज्यादा पूछपरख।

श्रीनगर से आए अशरफ वाणी ने कहा कि कश्मीर में 2004 तक इंटरनेट नहीं था। हमारे देश में यह हकीकत है कि ज्वलंत मुद्दों पर आधारित खबर ज्यादा बिकती है। पिछले तीन दशक से चल रही पत्रकारिता को सोशल मीडिया ने बदल दिया है । अब पत्रकारिता का भविष्य भी उसी में नजर आ रहा है।

यह पत्रकारिता के संक्रमण का युग है।

डैफोडिल विश्वविद्यालय ढाका के डीन उज्जवल चौधरी ने कहा कि यह युग पत्रकारिता का संक्रमण युग है। मीडिया शिक्षा के नाम पर जो पढ़ाया जा रहा है वह आउटडेटेड हो चुका है । 2021 में मीडिया एजुकेशन के संस्थानों में बैठे व्यक्ति 1920 से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। हमारे यहां के संस्थानों में डाटा जनरलिज्म, मीडिया लिटरेसी, कन्वर्जन ऑफ मीडिया, मोजो जैसे वर्तमान में आवश्यक विषय नहीं पढ़ाए जाते हैं ।

मीडिया शिक्षा का फैलाव महज 25 वर्ष पुराना।

गुजरात के धीमंत पुरोहित ने कहा कि देश में मीडिया एजुकेशन को चाहे 100 साल हो गए होंगे, लेकिन हकीकत में मीडिया शिक्षा को मात्र 25 वर्ष हुए हैं । इसमें आमूलचूल परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है । इस आवश्यकता को हम सभी को देखना और समझना होगा ।

मोबाइल पत्रकारिता सिखाएं।

वरिष्ठ पत्रकार स्नेहाशीष सुर ने कहा कि कोविड-19 के बाद डिजिटल पत्रकारिता में सबसे ज्यादा ग्रोथ हुआ है । मोबाइल की पत्रकारिता अभी नई पीढ़ी के लोगों को सिखाई जाना चाहिए । जिस तरह इंजीनियर और डॉक्टर के लिए तकनीकि प्रबंधन की व्यवस्था होती है, उसी तरह से मीडिया के लिए भी व्यवस्था की जाना चाहिए । इसके लिए देश में मीडिया जर्नलिज्म काउंसिल का गठन किया जाना चाहिए । नई पीढ़ी के युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने, चैनल खोलने, सोशल मीडिया को हैंडल करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

मीडिया का हर क्षेत्र पर असर।

इंदौर के पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्रा ने कहा कि इंदौर मे हिंदी पत्रकारिता की समृद्ध पृष्ठभूमि रही है। आज देश के हर क्षेत्र में पत्रकारिता का असर है। हाल ही में हुए एक शोध से यह हकीकत सामने आई है कि जब अखबारों के द्वारा आत्महत्या के मामलों को प्रकाशित करना बंद किया गया तो संबंधित शहर में आत्महत्या के मामलों में 25% की कमी आ गई।

मीडिया अपनी साख दुबारा स्थापित करें।

प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा कि आज के परिवेश में लोकतंत्र के सम्मान में मीडिया को अपनी तेजता दिखाना चाहिए। सामूहिक सोच जरूरी है । मीडिया के बारे में जनता के बीच में जो धारणा बनी है वह घातक है । उससे उबरने और एक बार फिर अपनी साख को कायम करने के लिए मीडिया को काम करना चाहिए ।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय दुबे ने इस आयोजन के प्रति अपनी शुभकामना व्यक्त की और कहा कि यह आयोजन पूरे देश में इंदौर को एक अलग स्थान दिलाता है।

मीडिया शिक्षा का पाठ्यक्रम फिर से लिखा जाए।

वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर ने एक बार फिर मीडिया शिक्षा का पाठ्यक्रम लिखे जाने की जरूरत पर बल दिया । उन्होंने कहा कि आज बहुत सारे मीडिया शिक्षण संस्थानों में मीडिया लैब बन गए हैं । वहां पर रिकॉर्डिंग और एडिटिंग की सुविधा है लेकिन उनके उपकरण आउटडेटेड हैं । हम रीयल टाईम खबर के जमाने में जी रहे हैं तो ऐसे में हमें आज के समय में उपयोग किए जाने वाले उपकरण इस मीडिया लैब में रखना होंगे ।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत कमल कस्तूरी , घनश्याम पटेल , मोहित गर्ग, आकाश चौकसे, संजीव श्रीवास्तव, सोमेश राठी, कीर्ति राणा, प्रमोद राघवन, शीतल राय, सोनाली यादव, पंकज वाधवानी, प्रवीण धनोतिया ने किया । कार्यक्रम का संचालन कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मानसिंह परमार ने किया । स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने संगठन की जानकारी दी । महोत्सव के संयोजक सुदेश तिवारी ने तीन दिवसीय महोत्सव पर प्रकाश डाला। आभार महासचिव अभिषेक बड़जात्या ने माना।

5 मीडिया शिक्षक सम्मानित।

इस आयोजन में ऐसे 5 मीडिया शिक्षकों को सम्मानित किया गया जो पत्रकार के रूप में कार्यरत रहे हैं और वर्तमान में मीडिया शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.