सुरमई सांझ से अंजाम तक पहुंचा भारतीय पत्रकारिता महोत्सव

इंदौर : स्टेट प्रेस क्लब के भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में अलग- अलग विषयों पर बौद्धिक विचार- विमर्श तो हुआ ही, तीनों दिन सांस्कृतिक आयोजनों ने भी अलग छाप छोड़ी। बाहर से आए मीडियाकर्मियों और अन्य मेहमानों के साथ स्थानीय पत्रकारों, उनके परिजनों व आमंत्रित गणमान्य लोगों ने इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी पूरा लुत्फ उठाया।

शैलेन्द्र के गीतों और जीवन के सफर की पेश की गई बानगी।

पहले दिन याने 14 अप्रैल की शाम गीतकार शैलेंद्र के गीतों और जीवन के सफर पर आधारित कार्यक्रम – “अवाम का गीतकार – शैलेन्द्र” की प्रस्तुति दी गई। इसमें वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने जहाँ संवाद और रोचक तथ्यों से शैलेन्द्र के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला वहीं उनके पारिवारिक मित्र हरिवंश चतुर्वेदी ने शैलेन्द्र के गीतों से जुड़े किस्से साझा किए। गायक आलोक बाजपेयी ने शैलेन्द्र के गीतों को स्वर देकर समां बांध दिया। शैलेन्द्र के हर मूड के सदाबहार गीत इस दौरान पेश किए गए।प्रोजेक्टर के जरिए उन गीतों की झलक भी पेश की गई।

गजलों से सजी दूसरी शाम।

पत्रकारिता महोत्सव की दूसरी शाम (15 अप्रैल ) दिलकश गजलों से आबाद रही। ‘शुक्रतारा’ के नाम से पेश की गई इस महफ़िल में रक्षा श्रीवास्तव और कौशल महावीर ने नायाब गजलों की खूबसूरत प्रस्तुति देकर इस शाम को खुशनुमा बना दिया।

सुरमई सांझ से अंजाम तक पहुंचा पत्रकारिता महोत्सव।

भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन की शाम को पुणे व इंदौर के कलाकारों ने यादगार बना दिया। सुरीले गीतों से सजी इस शाम का मीडियाकर्मियों और उनके परिजनों ने भरपूर लुत्फ उठाया। पुणे से आए कलाकार धवल चाँदवडकर, प्रशांत नासेरी व रसिका गानू और हमारे अपने शहर इंदौर की अनुभा खाडिलकर ने सुरीले गीतों से वो रंग जमाया कि हाल में मौजूद हर शख्स झूम उठा। आएगा आने वाला से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद एक से बढ़कर एक गीतों की महक से रवींद्र नाट्यगृह महकता रहा। छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा, आओ ना, गले लगाओ ना, तुमने मुझको हंसना सिखाया, तेरी आँखों के सिवा, पत्ता- पत्ता, बूटा- बूटा, अजी रूठकर अब कहां जाइएगा, प्यार दीवाना होता है, झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में, अभी न जाओ छोड़ कर, दिल अभी भरा नहीं सहित कई कालजयी एकल व युगल गीतों से सजा यह सुरमई सफर रात तक जारी रहा। इंदौर की युवा गायिका अनुभा खाडिलकर की तारीफ करनी होगी कि उसने मस्ती भरे गीतों को उसी शिद्धत के साथ पेश कर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।
संगीत संयोजन पिंटू कसेरा का था।

कार्यक्रम के दौरान सांसद शंकर लालवानी ने भी अपनी आमद दर्ज करवाई। उन्होंने भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के सफल आयोजन के लिए स्टेट प्रेस क्लब और प्रवीण खारीवाल को बधाई दी। सुरीले गीतों का सफर थमने के साथ ही पत्रकारिता महोत्सव का भी समापन हुआ।

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