अभिनव कला समाज के मंच पर अनवरत के कलाकारों ने पेश किया नाटक ‘बादशाहत का खात्मा’

इंदौर : मंटो की कहानी ‘बादशाहत का खात्मा’ एक युवक की दास्तान है जो स्पष्टवादी है जिसे गुलामी पसंद नहीं। नाम है मनमोहन। शायद इसीलिए वो नौकरी नहीं करता। फुटपाथ पर अपनी ज़िंदगी बसर करता है। दोस्त उसकी मदद करते रहते हैं। उसका एक दोस्त राकेश कुछ दिनों के लिए अपना दफ्तर उसे सौंप कर जाता है। एक मिस कॉल आता है और कहानी वहीं से आगे बढ़ जाती है। मिस कॉल करने वाली मोहतरमा से युवक को मोहब्बत हो जाती है। उनमें भी वही गुदगुदी होने लगी, जो अक्सर इश्क के मारे युवक-युवतियों में होती है। वे सपने देखने लगते हैं और उस मोहतरमा के बारे में न जाने क्या-क्या सोचने लगते हैं।

कहानी पूरे क्लाइमेक्स पर पहुंच जाती है। दोनों में बातचीत भी शुरू हो जाती है। इसी दौरान लड़की मनमोहन से फोन करने का वादा करती है, लेकिन उसका फोन नहीं आता है। उधर, मनमोहन हर पल उसके फोन का इंतजार करने लगता है। एक समय ऐसा भी आता है, जब फोन की बाट जोहते-जोहते उसकी तबियत खराब होती है और उसकी जान चली जाती है। कहानी दुखांतकारी है, लेकिन शुरुआत से ही रोमांचक और लोमहर्षक भी है।

ये थे मंच के किरदार।

किशन ओझा (मनमोहन) कीर्तिका पटेल (आवाज़) अतुल पैठारी (राकेश – मनमोहन का दोस्त)

मंच के पीछे –

मंच परिकल्पना – किशन ओझा।संगीत -मुस्कान रनसोरे। मंच प्रबंधक – प्रकृति चौहान। लाइटस एवं निर्देशन नीतेश उपाध्याय। मेकअप – निष्ठा मोर्या।

प्रारम्भ में अभिनव कला समाज़ एवं स्टेट प्रेस क्लब,मप्र के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, प्रधानमंत्री अरविंद अग्निहोत्री,महासचिव संजीव आचार्य ने नाटक का शुभारंभ किया। अंत में सोनाली यादव ने आभार व्यक्त किया।

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